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सामाजिक स्टॉक एक्सचेंज
यह एपिसोड NGOs और सामाजिक सुरक्षा कानूनों (Social Security Laws) पर है। इसमें बताया गया है कि भारत में गैर-सरकारी संगठनों (NGOs) पर भी ये कानून लागू होते हैं, और इनका पालन करना क्यों जरूरी है — सिर्फ कानून की मजबूरी नहीं, बल्कि एक अच्छी संस्था की पहचान के लिए।
मुख्य बातें – आसान और साफ़ भाषा में:
- कई NGOs को लगता है कि ये कानून सिर्फ कंपनियों पर लागू होते हैं, उन पर नहीं। लेकिन ये भ्रम है।
- अगर NGO में कर्मचारी काम करते हैं — तो EPF, ESIC, Gratuity, Maternity Benefit, और POSH (Sexual Harassment कानून) जैसे कानून लागू हो सकते हैं।
- संस्था के काम का स्वरूप कोई भी हो, लेकिन अगर कर्मचारी हैं, तो ये ज़िम्मेदारी बनती है।
कुछ प्रमुख कानूनों की झलक:
- ईपीएफ (कर्मचारी भविष्य निधि)
- ईएसआईसी (कर्मचारी राज्य बीमा)
- ग्रेच्युटी अधिनियम
- मातृत्व लाभ अधिनियम
- POSH (यौन उत्पीड़न निवारण) अधिनियम
बजट और लागत का सवाल
- NGOs अक्सर पूछते हैं: “हमारे पास इतने पैसे कहां से आएंगे?”
- आजकल बहुत से donors इस पर फंड देने को तैयार हैं — बशर्ते मांगा जाए।
- लगभग ₹9,700 प्रति कर्मचारी का सालाना खर्च आएगा अगर सभी क़ानूनों का पालन हो।