एफसीआरए और एफसीआरआर
यह एपिसोड FCRA (Foreign Contribution Regulation Act) 2010 पर केंद्रित है। इसमें बताया गया है कि भारत में विदेशी चंदे (donations) और हॉस्पिटैलिटी को रेगुलेट करने वाला यह कानून NGOs के लिए कितना जरूरी और संवेदनशील है – खासकर 2020 में हुए बदलावों के बाद।
1. FCRA क्या है?
- यह कानून भारत में NGOs और संस्थाओं को मिलने वाले विदेशी चंदे और मेहमाननवाज़ी (foreign hospitality) को कंट्रोल करता है।
- चाहे पैसा भारतीय रुपये में ही क्यों न मिले, अगर देने वाला विदेशी स्रोत है, तो वह विदेशी योगदान (foreign contribution) माना जाएगा।
2. FCRA रजिस्ट्रेशन के लिए पात्रता (Eligibility):
- संस्था कम से कम 3 साल पुरानी होनी चाहिए।
- पिछले 3 सालों में कम से कम ₹15 लाख का खर्चा मुख्य गतिविधियों पर होना चाहिए।
3. 2020 में हुए प्रमुख बदलाव (बहुत ज़रूरी):
(a) Sub-Granting पूरी तरह
बंद: अब कोई भी संस्था जिसे FCRA फंड मिला है, वह उसे किसी दूसरी संस्था को transfer नहीं कर सकती।
(b) Admin खर्च की सीमा घटाकर: पहले यह सीमा 50% थी। अब कुल विदेशी फंड का सिर्फ 20% ही प्रशासनिक खर्चों पर लगाया जा सकता है।
(c) SBI में अनिवार्य बैंक खाता: सभी FCRA फंड अब सिर्फ SBI, नई दिल्ली (Main Branch) के खाते में ही लिए जा सकते हैं।
(d) Aadhaar की अनिवार्यता: संस्था के सभी प्रमुख पदाधिकारियों (Board Members) को अपना आधार नंबर देना जरूरी है।
(e) सस्पेंशन और कैंसलेशन के नियम सख्त: नियमों का उल्लंघन करने पर संस्था का रजिस्ट्रेशन सस्पेंड या रद्द किया जा सकता है।
4. क्या विदेशी तोहफे (gifts) भी शामिल हैं?
- हां, अगर वह किसी संस्था को है, तो।
- लेकिन ₹1 लाख तक के व्यक्तिगत तोहफे इस कानून के दायरे से बाहर हैं।
5. अन्य अहम बातें:
- सभी संस्थाओं को हर साल FCRA Annual Return जमा करना जरूरी है।
- अगर नियमों का पालन नहीं किया गया, तो:
- रजिस्ट्रेशन रद्द हो सकता है।
- कानूनी कार्रवाई हो सकती है।
- संस्था की प्रतिष्ठा और काम दोनों पर असर पड़ सकता है।
✅ संस्थाओं के लिए सुझाव:
- FCRA नियमों को पूरी तरह समझें और लागू करें।
- अपने दस्तावेज़ और रिकॉर्ड सही रखें और समय पर अपडेट करें।
- SBI Delhi वाले खाते का उपयोग करें।
- अनुदान देने से पहले पक्का करें कि आप उसे किसी और को ट्रांसफर नहीं कर सकते।